अवैध प्रवेश: हमारे भोजन में अवैध जीएम

आनुवांशिक रूप से संशोधित (जेनेटिक मॉडिफाइड यानी जीएम) संसाधित खाद्य पदार्थों को भारत में सरकारी मंजूरी के बिना बेचा नहीं जा सकता और न ही इसका व्यापार किया जा सकता है  

लेकिन सीएसई के एक नए प्रयोगशाला अध्ययन में पाया गया कि उन्हें यहां व्यापक रूप से बेचा जा रहा है। क्या भारत के भोजन और स्वास्थ्य नियामकों ने जानबूझकर ऐसा होने की अनुमति दी है? 

भारतीय उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार है कि वे क्या खा रहे हैं। जीएम लेबलिंग या तो मौजूद नहीं है, या फिर इसे लेकर मिथ्या प्रस्तुति और झूठे दावे किए जा रहे हैं 

  • घरेलूरूप से उत्पादित और आयातित खाद्य तेलों, संसाधित और पैक किए गए खाद्य पदार्थों और शिशु खाद्य पदार्थों पर परीक्षण किए गए।
  • जीएमके लिए किए गए परीक्षण में 32 प्रतिशत नमूने पॉजिटिव पाए गए, इन पॉजिटिव नमूनों में 80 प्रतिशत उत्पादों का आयात किया गया था
  • अधिकतरजीएम खाद्य पदार्थों के लेबल पर उनके जीएम होने को नहीं दर्शाया गया,  कुछ ने जीएम मुक्त होने के झूठे दावे भी किए 
  • एफएसएसएआई, शीर्ष खाद्य नियामक, जीएम भोजन को विनियमित करने में लापरवाह है, यह अपनी अवैध बिक्री को रोकने में असफल रहा है, जीएम भोजन की लेबलिंग को लेकर इसके ड्राफ्ट के नियम कमजोर हैंऔर लागू करने के लिए अव्यावहारिक हैं
  • सीएसईअनुशंसा करता है - एफएसएसएआई को जरूरी अनुमोदन प्रक्रियाएं निर्धारित करनी होंगी, यह कड़े लेबलिंग मानकों को तैयार करे, जीएम खाद्य पदार्थों की जांच के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित करे और ऐसेखाद्य पदार्थों को अवैध रूप से बाजार में लाने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे 

नई दिल्ली, 26 जुलाई,2018: भारत के लिए अपनी तरह के पहले अध्ययन में, नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने आनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) संसाधित खाद्य पदार्थों की अवैधउपस्थिति और बिक्री का खुलासा किया है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की मंजूरी के बिना देश में इन खाद्य पदार्थों का उत्पादन, बिक्री और आयात प्रतिबंधित है।

सीएसई की प्रदूषण निगरानी प्रयोगशाला (पीएमएल) ने यह अध्ययन किया। इस दौरान भारतीय बाजारों में उपलब्ध 65 खाद्य उत्पादों का परीक्षण किया गया जिनमें से 32 प्रतिशत जीएम पॉजिटिव पाए गए। इन खाद्यउत्पादों को दिल्ली-एनसीआर, पंजाब और गुजरात में खुदरा दुकानों से रेंडमली (यादृच्छिक रूप से)  खरीदा गया था। आयातित (35) और घरेलू रूप से उत्पादित (30) नमूनों का परीक्षण किया गया। आयातित नमूने बदतरहालत में थे - 80 प्रतिशत उत्पाद जो जीएम पॉजिटिव पाए गए थे, आयात किए गए थे (पूरी अध्ययन रिपोर्ट के लिए, कृपा www.downtoearth.org.in देखें)। 

जीएम पॉजिटिव पाए गए उत्पादों में शिशु भोजन, खाद्य तेल और पैक किए गए खाद्य स्नैक्स शामिल हैं। इनमें से अधिकतर अमेरिका, कनाडा, नीदरलैंड, थाईलैंड और संयुक्त अरब अमीरात से आयात किए जाते हैं। येउत्पाद सोया, कपास बीज, मकई या रैपसीड (कैनोला) से उत्पन्न होते हैं जिन्हें दुनिया की जीएम फसलों के रूप में जाना जाता है।

आज यहां अध्ययन के नतीजों को जारी करते हुए सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा, “हमारी सरकार का कहना है कि उसने जीएम खाद्य उत्पादों के आयात की अनुमति नहीं दी है, तो यह कैसे हो रहाहै? हमने पाया है कि कानून समस्या नहीं है-नियामक एजेंसियां जिम्मेदार हैं।”

सीएसई के उपमहानिदेशक चंद्र भूषण ने आगे कहा, “हमने भारत में अवैध जीएम भोजन की उपस्थिति के बारे में सुना और संसाधित खाद्य पदार्थों का परीक्षण करके वास्तविकता जांचने का फैसला किया। हम जीएमखाद्य पदार्थों के भारतीय बाजार में प्रवेश संबंधी पैमाने को जानकर भौचक्के रह गए। नियामक प्राधिकरण इसके लिए दोषी हैं - एफएसएसएआई ने किसी भी जीएम भोजन को कागज पर अनुमति नहीं दी है, लेकिन इसकीअवैध बिक्री को रोकने में असफल रहा है।” 

जीएम क्या है? हमें चिंता क्यों करनी चाहिए? 

नारायण कहती हैं, “जीएम (आनुवांशिक रूप से संशोधितद) उत्पादों, विशेष रूप से भोजन, सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण सवाल उठाते हैं : सवाल यह है कि वे कितने सुरक्षित हैं।” इस पर फिलहाल निर्णय नहीं लिया जा सकाहै। ऐसा इसलिए है क्योंकि जीएम भोजन में विभिन्न जीवों से जीन (डीएनए) लेना और उन्हें खाद्य फसलों में डालना शामिल है। एक चिंता यह है कि यह “विदेशी” डीएनए विषाक्तता, एलर्जी प्रतिक्रियाओं, पोषण औरअनायास प्रभावों जैसे जोखिम पैदा कर सकता है।

भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों ने जीएम भोजन के लिए “सावधानीपूर्ण” दृष्टिकोण अपनाने का फैसला किया है। उन्होंने अनुमोदन और लेबलिंग के लिए कड़े नियम निर्धारित किए हैं। यूरोपीयसंघ, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्राजील और दक्षिण कोरिया ने जीएम भोजन को लेबल करना अनिवार्य बना दिया ताकि उपभोक्ताओं के पास खाने का चुनाव करने का विकल्प हो (ज्यादा जानकारी केलिए www.downtoearth.org.in पर डाउन टू अर्थ की स्टोरी और सीएसई रिपोर्ट देखें)। 

सीएसई अध्ययन में क्या पाया गया?

जीएम भोजन में विदेशी प्रमोटर और टर्मिनेटर जीन होते हैं। बाजार में 90 प्रतिशत से अधिक जीएम फसलों में प्रमोटर जीन जैसे फूलगोभी मोजेक वायरस (सीएएमवी) के 35एस प्रमोटर और अंजीर मोजेक वायरस केएफएमवी प्रमोटर, और एग्रोबैक्टेरियम ट्यूमेफेसिंस के एनओएस टर्मिनेटर जैसे प्रमोटर जीन होते हैं। क्वांटीटेटिव पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (क्यूपीसीआर) का उपयोग करते हुए, सीएसई की प्रयोगशाला ने यह जांच की किक्या खाद्य उत्पादों में 35 एस प्रमोटर, एनओएस टर्मिनेटर और एफएमवी प्रमोटर का संयोजन मौजूद था।  

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष हैं    

  • परीक्षणकिए गए खाद्य उत्पाद नमूनों में 32 प्रतिशत (65 में से 21) जीएम पॉजिटिव थे। पॉजिटिव उत्पादों में से लगभग 80 प्रतिशत (21 में से 16) आयात किए गए थे। ये सोया, मकई और रैपसीड से बने थे या इनका इनउत्पादों में इस्तेमाल किया गया था और ये कनाडा, नीदरलैंड, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका से आयात किए गए थे। 
  • तेलके नमूनों में 56 प्रतिशत (16 में से 9), पैक किए गए खाद्य पदार्थों के नमूनों में 25 प्रतिशत (39 में से10) और शिशु खाद्य नमूनों में 25 प्रतिशत (8 में से 2) जीएम पॉजिटिव पाए गए। 

  • सीएसईप्रयोगशाला ने भारत से कपास के तेल के पांच नमूनों का भी परीक्षण किया - सभी नमूने पॉजिटिव पाए गए। ऐसा इसलिए है क्योंकि बीटी-कॉटन ऐसी इकलौती जीएम फसल है जिसे देश में खेती के लिएअनुमति दी गई है। भूषण कहते हैं, लेकिन हमें चिंता करनी चाहिए। सबसे पहले, मानव उपभोग के लिए जीएम कपास के तेल के उपयोग के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है। दूसरा, कपास का तेल अन्य खाद्यतेलों, विशेष रूप से वनस्पति में भी मिलाया जाता है, जिसका मतलब है कि हम अनजाने में इसे खा रहे हैं।  
  • शिशुभोजन में जीएम प्रदूषण पाया गया था, यह एलर्जी सहित चिकित्सा बीमारियों वाले बच्चों के लिए बेचा गया। अमेरिकन हेल्थकेयर कंपनी एबॉट लेबोरेटरीज के दो उत्पादों को जीएम पॉजिटिव पाया गया था- एकलैक्टोज सहन न कर पाने वाले शिशुओं के लिए था और दूसरा एक हाईपोएर्लजेनिक था (एलर्जी प्रतिक्रिया की संभावना को कम करने के लिए)। किसी उत्पाद में जीएम अवयव होने संबंधी कोई लेबल चेतावनी नहीं दी गई।  
  • खाद्यतेल के अलावा, भारत में निर्मित कोई संसाधित नमूना जीएम पॉजिटिव नहीं मिला।  
  • 65 प्रतिशत(20 में से 13) जीएम पॉजिटिव नमूनों के लेबल पर जीएम होने के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं :  

- कनौला तेल ब्रांड (संयुक्त अरब अमीरात से जिंदल रिटेल (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयात किया गया फेरेल, संयुक्त अरब अमीरात से हडसन, डालमिया कॉन्टिनेंटल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा इसका विपणन कियागया, जिवो वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कनाडा से आयातित जिवो) और भारत से कॉटनसीड तेल ब्रांड (अंकुर, गिनी, तिरुपति और विमल)।

- पैक्ड खाद्य पदार्थ जैसे पैनकेक सिरप ओरिजिनल और पॉपकॉर्न हॉट एन स्पाइसी - अमेरिकन गार्डन के दोनों उत्पाद - भारत में बजोरिया फूड्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयात किए गए, फ्रूटलूप्स - न्यूएज गॉरमेट फूड्सद्वारा आयात किए गए केलॉग्स का एक मीठा मल्टीग्रेन अनाज और जनरल मिलसिंक, यूएसए द्वारा वितरित और न्यूएज गॉरमेट फूड्स द्वारा आयात किए गए बगल्स के क्रिस्पी कॉर्न स्नैक्स। 

  • तीनउत्पादों ने झूठे दावों किए और कहा कि किसी जीएम घटक का उपयोग नहीं किया जाता है। सेंचुरी एडिबल कुकिंग ऑयल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कनाडा से आयात किया गया कैंड्रोप कैनोला तेल, ओलिव ट्री ट्रेडिंगप्राइवेट लिमिटेड द्वारा अमेरिका से आयातित मोरी-नू सिल्केन टोफू और गुरु किरपा इंपेक्स द्वारा थाईलैंड से आयात किया गया प्रोमप्लस स्वीट होल कर्नेल कॉर्न इनमें शामिल हैं।  
  • जिनचार उत्पादों पर जेनेटिक इंजीनियरिंग टेक्रोलॉजी का लेबल लगाया गया था, वे थे - मिसेज कब्बिसन से बटर एंड गार्लिक क्रउटंस, जनरल मिल्स सेल्स इंक, यूएसएस द्वारा वितरित ट्रिक्स के कॉर्न पफ्स, अमेरिका मेंक्वेकर ओट्स द्वारा वितरित आंट जेमिमा से ओरिजिनल सिरप और केरो, अमेरिका से डार्क कॉर्न सिरप। सभी चार उत्पादों को न्यूएज गॉरमेट फूड्स द्वारा आयात किया गया था। 

नियम क्या कहते हैं? 

  • पर्यावरणसंरक्षण अधिनियम (ईपीए) पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय के अधीनस्थ जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी (जीईएसी) की मंजूरी को छोडक़र किसी भी आनुवांशिक रूप से इंजीनियर्ड ऑगेनिज्म केआयात, निर्यात, परिवहन, निर्माण, प्रक्रिया, उपयोग या बिक्री को सख्ती से प्रतिबंधित करता है। 
  • 2006 खाद्य संरक्षा और मानक अधिनियम (एफएसएसए) एफएसएसएआई की मंजूरी के बिना जीएम भोजन के आयात, निर्माण, उपयोग या बिक्री पर रोक लगाता है। 
  • लीगलमेट्रोलॉजी (पैक्ड वस्तुएं) रूल्स 2011 के तहत जीएम को खाद्य पैकेज पर घोषित किया जाना अनिवार्य है। 
  • विदेशीव्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम 1992 कहता है कि जीईएसी की अनुमति के बिना जीएम भोजन का आयात नहीं किया जा सकता है। 
  • कोईभी, जो जीएम भोजन का आयात, निर्माण, उपयोग या बिक्री करता है, पर उपर्युक्त अधिनियमों के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। 

एफएसएसएआई ने अब लेबलिंग पर एक मसौदा अधिसूचना जारी की है, जिसमें जीएम भोजन शामिल है। सीएसई के खाद्य सुरक्षा और विषाक्त पदार्थों के कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना कहते हैं, “एफएसएसएआईअधिसूचना बताती है कि 5 प्रतिशत या उससे अधिक जीएम अवयवों वाले किसी भी खाद्य पदार्थ को लेबल किया जाएगा, बशर्ते यह जीएम घटक प्रतिशत के मामले में उत्पाद के शीर्ष तीन अवयवों का गठन करे। यूरोपीययूनियन, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील जैसे अन्य देशों की तुलना में 5 प्रतिशत की छूट सीमा बहुत ढीली है, जिनकी सीमा 1 प्रतिशत से कम या नीचे है।” 

“लेकिन इसमें एक झोल है”, वह कहते हैं। “सरकार के लिए सभी खाद्य पदार्थों में जीएम सामग्री को मापना बहुत मुश्किल है : ये जांच बहुत खर्चीली और तकनीकी रूप से बोझिल है। इसका मतलब है कि नियामक एजेंसीकंपनियों को स्वघोषणा के लिए कह रही है और बताती है कि वे 5 प्रतिशत सीमा के भीतर हैं और इसलिए उन्हें जीएम लेबल लगाने की जरूरत नहीं है।”

भूषण कहते हैं, “जीएम लेबलिंग नियमों का मसौदा एफएसएसएआई के दोहरे मापदंडों को दर्शाता है। एक तरफ, एफएसएसएआई ने कार्बनिक भोजन को लेबल करने के लिए कड़े नियम निर्धारित किए हैं, जो एकसुरक्षित और स्वस्थ हैं। साथ ही, यह जीएम खाद्य लेबलिंग के लिए भारी छूट देने का प्रस्ताव कर रहा है, जिसकी सुरक्षा चिंता का विषय रही है।” 

सीएसई क्या सिफारिश करता है? 

  • एफएसएसएआईको बाजार में बेचे जाने वाले सभी जीएम उत्पादों की पहचान करनी चाहिए और कंपनियों और व्यापारियों को मुकदमा चलाया जाना चाहिए। 
  • घरेलूऔर आयातित जीएम खाद्य पदार्थों की मंजूरी के लिए इसे सुरक्षा मूल्यांकन प्रणाली स्थापित करनी होगी। 
  • जीएमलेबलिंग छूट के लिए सीमा 1 प्रतिशत जीएम डीएनए पर निर्धारित की जानी चाहिए, न कि सामग्री के वजन के आधार पर। केवल अनजाने संदूषण (कन्टैमनैशन) को छूट दी जानी चाहिए। 
  • एफएसएसएआईको प्रवर्तन उपकरण के रूप में गुणात्मक जांच (जैसे मात्रात्मक बहुलक शृंखला प्रतिक्रिया - क्यूपीसीआर के माध्यम से) अपनानी चाहिए और अनजानी उपस्थिति साबित करने का जिम्मा खाद्य निर्मातापर होना चाहिए। प्रभावी निगरानी के लिए जीएम खाद्य पदार्थों की जांच के लिए इसे प्रयोगशालाएं स्थापित करनी होंगी। 
  • प्रतीकात्मकलेबल जैसे जीएम, को जीएम भोजन पैक के सामने प्रदर्शित किया जाना चाहिए -जैसे कि जैविक भोजन के लिए प्रस्तावित जैविक भारत शब्द के साथ हरे रंग में सही का निशान लगाया जाता है।  

नारायण कहती हैं, “2008 में  (2012 में अपडेट किया गया), इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने इस तरह के भोजन की सुरक्षा निर्धारित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे

- इसने चेतावनी दी कि इच्छित परिवर्तनों के साथ अनचाहे परिवर्तनों के लागू होने की आशंका है, जो बदले में उपभोक्ता की पोषण की स्थिति या स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए, भारत जीएम खाद्यविनियमन और लेबलिंग के लिए स्वास्थ्य-आधारित सावधानीपूर्ण सिद्धांत दृष्टिकोण अपनाना चाहता है।”  

चंद्र भूषण के साथ फेसबुक पर लाइव 27 जुलाई, 2018 को दोपहर 3 बजे हमसे जुड़ें                                                                                                                  

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