सेंटर फॉर सायंस एंड एनव्हारंमेंट छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम में खनन कार्य से प्रभावित लोगो के अधिकारों को बनाए रखने हेतु किए गए संशोधनों की प्रशंसा करताहै |

  • छत्तीसगढ़ सरकार ने जिला खनिज संस्थान न्यास नियम, 2015 को लोककेंद्रीत बनाने हेतु उसमे संशोधन किया है,
  • छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जहां खनन प्रभावित क्षेत्रों की ग्राम सभा के सामान्य सदस्य जिला खनिजसंस्थान (DMF) केशासी परिषद का हिस्सा होंगे। जिलों में खनन प्रभावित आम लोगों को सशक्त बनाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • यह संशोधन डीएमएफ लाभार्थियोंखनन प्रभावित लोगों की पहचान पर जोर देता है तथा विशेषज्ञों की सहायता से खनन प्रभावित क्षेत्रों के चिन्हांकन का प्रावधान है|
  • जिला खनिज संस्था नन्यास निधी के लिए 5 साल का आवश्यकता आधारित विज़न- डॉक्यूमेंट(विजन प्लान) विकसित करने हेतू जिलों को निर्देशित करता है जो की वार्षिक निवेश का आधार बनेगा।
  • कुल जिला खनिज संस्थान न्यास निधी का कम से कम 50 प्रतिशत व्यय प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों के लि एकरने के निर्देश देता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके किस बसेअधिक प्रभावित क्षेत्र और लोगो को प्राथमिकता मिल रही है।
  • सतत आजीविका, विशेष रूप से वन और कृषि पर आधारित आजीविका, हेतु व्यय पर विशेष जोर डीएमएफ के निवेश हेतू वन-आधारित आजीविका को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाला एक मात्र राज्य।
  • बेहतर जवाब देही और जिलाख निज संस्थान (डीएमएफ) के निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए सामाजिक लेखापरीक्षण (सोशल ऑडिट) प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया है 

6 जुलाई 2019, नईदिल्ली: सेंटर फॉर सायंस एंड एनव्हायरनमेंट (Centre for Science and Environment) छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम(2015)में किए गए संशोधनों की प्रशंसा करताहै| जिला खनिज संस्थान (DMF) को लोक केन्द्रत बनाने हेतु किए गए अन्य महत्वपूर्ण सुधारों के साथ साथ यह संशोधनखनन कार्य से प्रभावित क्षेत्रो के ग्राम सभा सदस्यों को जिला खनिज संस्थान के शासी परिषद् में शामिल करने का प्रावधान करता है | राज्य शासन द्वारा ४ जुलाई को जारी प्रेस वार्ता अनुसार मुख्यमंत्री, श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित केबिनेट बैठक में इन संशोधनों को मंजूरी दी गई | 

संशोधन के अनुसार खनन से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावितक्षेत्रोंकी ग्राम सभा से 10 सदस्यों को डीएमएफ की शासी प्ररिषद में शामिल किया जाना है | अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा के कम से कम 50 प्रतिशत सदस्य अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी से होने चाहिए | इसमें यह भी कहा गया है कि महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी | संशोधन के पूर्व प्रभावित क्षेत्रो की ग्राम सभा से केवल दो सरपंच शासी परिषद का हिस्सा थे | 

सीएसई के उप महानिदेशक चंद्र भूषण कहते हैं, " खनन प्रभावित आम लोगों को सशक्त बनाने में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है।" भूषण आगे कहते है की “नैसर्गिक खनिज उत्खनन के लाभ को प्राप्त करने हेतु लोगों के अधिकारों को डीएमएफ द्वारा मान्यता दी गई है किन्तु अधिकारों का प्रयोग तभी किया जा सकेगा जब व्यक्ति को निर्णय प्रक्रिया में उचित प्रतिनिधित्व एवं अभिव्यक्ति मिलेगी” 

डीएमएफ को खान और खनिज [(विकास और विनियमन)] अधिनियम,2015 के तहत एक गैर-लाभकारी ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है| 'खनन-संबंधित कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित और लाभ के लिए काम करने के उद्देश से इसको बनाया गया है| डीएमएफ के प्रभावी क्रियान्वयन एवं प्रासंगिक बने रहेने के लिए जन भागीदारी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कानून यह भी स्पष्ट करता है की विभिन्न राज्य सरकारो के डीएमएफ नियम तीन लोक-केंद्री कानूनों से प्रभावित हो -  भारत के संविधान का अनुच्छेद 244 (पाँचवीं और छठी अनुसूचियों के साथ), पंचायत(अनुसूचित क्षेत्रों के लिए विस्तार) अधिनियम (PESA), 1996, और वन अधिकार अधिनियम (FRA)2006. 

डीएमएफनिवेश के दायरे को बेहतर बनाने और संस्थान की जवाबदेही को मजबूत करने के लिए भी नियमों को संशोधित किया गया है | ये सभी महत्वपूर्ण हैं क्यों की 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के कुल संग्रह के साथ छत्तीसगढ़डीएमएफ के मामले में शीर्ष राज्यों में से एक है|. इससे राज्य में खनन व्याप्त जिलों में खनन से प्रभावित लोगों के जीवन और आजीविका में सुधार की अपार  संभावनाएतैयार हो रही है | 

डीएमएफ को अपने कार्यएवंनिधि के उपयोग में प्रभावी बनाने हेतु एक महत्वपूर्ण कदम के रूप मेंयह संशोधन जिलों को सटीक रूप से खनन प्रभावित लोगों की पहचान करने और खनन प्रभावित क्षेत्रों का चिन्हांकनकरने के लिए निर्देशित करता है। डीएमएफ निधि में सालाना 25 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त करने वाले जिलों द्वाराइस उद्देश्य के लिएविशेषज्ञ एजेंसियों को शामिल करना चाहिए | 

डीएमएफ योजना में सुधार करने और लक्षित तथा समयबद्ध तरीके से परिणाम प्राप्त करने के लिए भी संशोधन मेप्रावधान पेश किए गए हैं| उदाहरण के तौर पर लोगो की जरूरते एवं अकांक्षाओ को शामिल करने हेतु जिलों को आवश्यकता आधारित नियोजन कर 5 साल का विजन प्लान तैयार करना है जोवार्षिकनिवेशकाआधारबनेगा। आगे इसका भी प्रावधान है की कमसेकम50 प्रतिशतव्ययप्रत्यक्षप्रभावितक्षेत्रोंकेलिए किया जाना चाहिए| प्राथमिकता के क्षेत्र जैसे पेयजल, आजीविका, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा आदि के लिए कम से कम 60 प्रतिशत व्यय करने के नियम के अतिरिक्त यह प्रावधान दिया गया है | 

भूषण कहते है की “डीएमएफ निधि के अनियोजित व्यय को रोकने के लिए ये बहुत जरूरी कदम हैं” “विभिन्न खनन व्याप्त जिलों मेंडीएमएफ निधि के निवेश के हमारे आंकलन से यह पता चलता है की उचित नियोजन प्रक्रिया तथा अधिक प्रभावित क्षेत्रों और लोगों के लिए धन का उपयोग किया जाना इस तथ्य की स्पष्टता के अभाव में डीएमएफ को किसी अन्य सामान्य विकास निधि के रूप में देखा जा रहा था | उदाहरण के लिए, शहर के पार्किंग स्थल, एयरपोर्ट रनवे, कन्वेंशन हॉल आदि पर पैसा खर्च किया जा रहा था। मुख्यमंत्री ने इस साल की शुरुआत में भी इस पर ध्यान दिया और इस तरह के निर्माण को रोक दिया”। 

संशोधित नियमों ने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और जीवन स्तर में सुधार के लिए स्थानीय संसाधन आधारित सततआजीविका पर भी जोर दिया है। डीएमएफ निधि के माध्यम से वन आधारित आजीविका वृद्धि को एक उच्च प्राथमिकता मुद्दा बनाया गया है। निधि का उपयोग उन लोगों हेतु आजीविका के अवसरों के लिए किया जाएगा जिनके वन अधिकारों को मान्यता दी गई है। सततकृषि में निवेश और बाजारो को जोड़ने हेतु संसाधनों के निर्माण में निवेश पर भी उक्त संशोधन में जोर दिया गया है | 

संशोधन विशेष रूप से यह भी कहता है की डीएमएफ निधि को मानवसंसाधनों जैसे स्वास्थ्य केंद्रों और शैक्षणिक संस्थानों में कर्मचारियों के भर्ती,खनन प्रभावित क्षेत्रों के छात्रों के लिए कोचिंग और शिक्षण शुल्क प्रदान करना आदि के लिए खर्च किया जाना चाहिए | डीएमएफ की बेहतर सार्वजनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के माध्यम के रूप मेंऔर कार्यों की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने हेतु सोशल ऑडिट (सामाजिक अंकेक्षण) जैसे तंत्र पर भी जोर दिया गया है।“ 

भूषण कहते है की “सरकार ने डीएमएफ संस्था की समावेशी व्यवस्था को बनाए रखने और इसके प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए डीएमएफ नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। खान और खनिज [विकास और विनियमन] अधिनियम में की गई अपेक्षा के अनुरूप सभी खनन प्रभावित जिलों में खनन प्रभावित लोगों को डीएमएफ की निर्णय प्रक्रिया में अभिव्यक्ति मिले एवं उनके सर्वोत्तम हितों की रक्षा हो इस उद्देश की पूर्ती के लिए छत्तीसगढ़ के नियमअन्य राज्यों के लिए भी मार्गदर्शक है |”

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