सेंटर फॉर सायंस एंड एनव्हारंमेंट (CSE) छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम में प्रस्तावित संशोधनों की प्रशंसा करता है जो जिला खनिज संस्थान को अधिक समावेशी तथा लोक केन्द्रित बनाते है

  • छत्तीसगढ़ सरकार ने जिला खनिज संस्थान न्यास नियम, 2015 को लोक केंद्रीत बनाने हेतु उसमे संशोधन किया है | राज्य के पास वर्तमान में जिला खनिज संस्थान में ४२०० करोड़ रूपए है |
  • खनन से सीधे तौर पर प्रभावित क्षेत्रों से 10 सामान्य ग्राम सभा सदस्यों को डी.एम.एफ के शासी परिषद में सदस्य बनाना खनन प्रभावित लोगों को सशक्त बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है
  • सूचीबद्ध एजेंसीयों द्वारा खनन प्रभावित लोगों (DMF लाभार्थियों) की पहचान और खनन प्रभावित क्षेत्रों का चिन्हांकनपर जोर दिया गया है|
  • जिला खनिज संस्थान न्यास निधी के लिए 5 साल का आवश्यकता आधारित विज़न-डॉक्यूमेंट(विजन प्लान) विकसित करने पर जोर डेटा है जो की वार्षिक निवेश का आधार बनेगा।
  • सड़क, पुलों, रेलवे, औद्योगिक पार्कों आदि जैसे बड़े भौतिक अवसंरचना परियोजनाओं पर निधि के दुरुपयोग को रोकने के लिए ऐसे कामो पर डीएमएफ निधि के उपयोग के लिए अधिकतम 20% की सीमा तय करता है।
  • कुल जिला खनिज संस्थान न्यास निधी का कम से कम 50 प्रतिशत व्यय प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों के लिए करने के निर्देश देता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र और लोगो को प्राथमिकता मिल रही है।
  • DMF निवेश के लिए सततआजीविका को एक 'उच्च प्राथमिकता' मुद्दा बनाता है।
  • डीएमएफ के माध्यम से वन अधिकार धारकों और वन आश्रित समुदायों के लिए आजीविका और जीवन स्तर में सुधार पर जोर देता है।
  • बेहतर सार्वजनिक जवाबदेही के लिए सामाजिक अंकेक्षण (Social Audit) प्रक्रिया पर विस्तार से बताया गया है। पंचवर्षीय योजना की तृतीय पक्ष द्वारा समीक्षा करने का अवसर प्रदान करता है 

12 सितंबर, 2019, रायपुर:छत्तीसगढ़ में जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) के कार्यान्वयन के लिए आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए राजधानी में आयोजित एक सार्वजनिक बैठक में, सेंटर फॉर सायंस एंड एनव्हारंमेंट (CSE) ने राज्य DMF ट्रस्ट नियमों (2015) में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए गए संशोधनों का स्वागत किया । जुलाई में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में इस विषय पर आयोजित कैबिनेट की बैठक के बाद, अगस्त अंत में सरकार द्वारा संशोधनों को अधिसूचित किया गया था। 

बैठक में राज्य और जिला अधिकारियों, विभिन्न खनन जिलों से आये कई नागरिक संगठनों, और मीडिया का प्रतिनिधित्व करने वाले70 से अधिक लोगों ने भाग लिया। 

आयोजन में बोलते हुए, सीएसई के उप महानिदेशक, चंद्र भूषण ने कहा “छत्तीसगढ़सरकारनेएकआवश्यकनियामकलानेकामहत्वपूर्णकदमउठायाहै।यह कदम महत्वपूर्ण है क्योकि DMF निधि संचय के मामले में छत्तीसगढ़ शीर्ष राज्यों में से एक है। यह राज्य में खनन जिलों के लिए खनन से प्रभावित लोगों के जीवन और आजीविका में सुधार करने के लिए एक बडा अवसर प्रदान करता है। ” । भूषण ने कहा कि पेश किए गए कुछ संशोधन आम खनन प्रभावित लोगों को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। 

संशोधन के महत्वपूर्ण नए प्रवाधान के अनुसार खनन से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्रो की ग्राम सभा से 10 सदस्यों को डीएमएफ की शासी प्ररिषद में शामिल किया गया है | साथ ही अनुसूचित क्षेत्रों के लिए ग्राम सभा के कम से कम 50 प्रतिशत सदस्य अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी से होने चाहिए | नियम महिलाओ के आवाज को भी सक्षम करता है क्योंकी इसमे प्रत्येक ग्राम सभा से एक महिला एवं एक पुरुष सदस्य  होंगे | 

डी.एम.एफ. को खान और खनिज [(विकास और विनियमन)] अधिनियम, 2015 के तहत एक गैर-लाभकारी ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है| 'खनन-संबंधित कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित और लाभ के लिए काम करने के उद्देश से इसको बनाया गया है| डीएमएफ के प्रभावी क्रियान्वयन एवं प्रासंगिक बने रहेने के लिए जन भागीदारी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कानून यह भी स्पष्ट करता है की विभिन्न राज्य सरकारो के डीएमएफ नियम तीन लोक-केंद्री कानूनों से प्रभावित हो -  भारत के संविधान का अनुच्छेद 244 (पाँचवीं और छठी अनुसूचियों के साथ), पंचायत(अनुसूचित क्षेत्रों के लिए विस्तार) अधिनियम (PESA), 1996, और वन अधिकार अधिनियम (FRA) 2006.

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ खनिज संसाधन विभाग के विशेष सचिव पी. अंबलगन ने कहा कि डीएमएफ निवेश के दायरे को बेहतर बनाने और इसे कारगर बनाने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है। उदाहरण के लिए, भौतिक अवसंरचना के विकास के लिए DMF निधियों के उपयोग पर 20% कैप लगाई गई है। यह न केवल बड़ी परियोजनाओं जैसे सड़क, पुल, रेलवे, औद्योगिक पार्क आदि पर धन के दुरुपयोग को रोक देगा, साथ ही अन्य गैर-भौतिक संसाधनों पर निवेश को बेहतर बनाने के लिए और अधिक अवसर पैदा करेगा ”। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक स्कूल भवन या अस्पताल अच्छे शिक्षकों या डॉक्टरों के बिना कभी भी कार्यक्षम नहीं बना सकता है, जो अभि तक एक बड़ी चुनौती है। 

पी. अंबलगन से जुड़कर भूषण ने जोर देकर कहा कि वास्तव में डीएमएफ की कल्पना सामाजिक पूंजी बनाने के लिए की गई थी। फंड उसके लिए बहुत बड़ा अवसर प्रदान करते हैं और इसे केवल ऐसे भौतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए जिसके लिए पहले से ही राज्य सरकार के पास प्रावधान है| 

डीएमएफ को अपने कार्यएवंनिधि के उपयोग में प्रभावी बनाने हेतु एक महत्वपूर्ण कदम के रूप मेंयह संशोधन जिलों को सटीक रूप से खनन प्रभावित लोगों की पहचान करने और खनन प्रभावित क्षेत्रों का परिसीमन करने के लिए निर्देशित करता है।एकता परिषद के रमेश शर्मा ने कहा, "प्रभावित क्षेत्रों को वैज्ञानिक रूप से चिन्हित किया जाना चाहिए और राजनीतिक इच्छा पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए।" 

डीएमएफ योजना में सुधार करने और लक्षित तथा समयबद्ध तरीके से परिणाम प्राप्त करने के लिए भी संशोधन ने प्रावधान पेश किए गए हैं| उदाहारण के तौर पर लोगो की जरूरते एवं अकांक्षाओ को शामिल करने हेतु जिलों को आवश्यकता आधारित नियोजन कर 5 साल का विजन प्लान तैयार करना है जो की वार्षिक निवेश का आधार बनेगा।इस उद्देश्य के लिए सामाजिक सेवा विशेषज्ञो को भी  शामिल किया जा सकता है | 

भूषण कहते है की “उचित नियोजन प्रक्रिया तथा अधिक प्रभावित क्षेत्रों और लोगों के लिए धन का उपयोग किया जाना इस तथ्य की स्पष्टता के अभाव में डीएमएफ को किसी अन्य सामान्य विकास निधि के रूप में देखा जा रहा था | उदाहरण के लिए, शहर के पार्किंग स्थल, एयरपोर्ट रनवे, कन्वेंशन हॉल आदि पर पैसा खर्च किया जा रहा था। मुख्यमंत्री ने इस साल की शुरुआत में भी इस पर ध्यान दिया और इस तरह के निर्माण को रोक दिया”। 

कम से कम 50 प्रतिशत व्यय प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों के लिए किया जाना चाहिए| प्राथमिकता के क्षेत्र जैसे पेयजल, आजीविका, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा आदि के लिए कम से कम 60 प्रतिशत व्यय करने के नियम के अतिरिक्त यह प्रावधान है | 

संशोधनों के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक 'सतत आजीविका' को उच्च प्राथमिकता वाले मुद्दे के रूप में निर्दिष्ट करना भी शामिल है, जिसमें वन अधिकार धारक भी शामिल हैं। यह स्थायी कृषि में निवेश और बाजार लिंकेज को सुविधाजनक बनाने के लिए संसाधन विकसित करने पर भी जोर देता है। चौपाल ग्रामीण विकास प्रशिक्षण एवं शोधन संस्थान के गंगाराम पैकरा ने कहा कि इन लोगों की आजीविका में सुधार के लिए योजना उनके परामर्श से ही विकास की जाए |

“CSE में डी.एम.एफ. कार्यक्रम की प्रमुख्य, कार्यक्रम प्रबंधक, श्रेष्ठा बेनर्जी कहती हेकी " खनन से प्रभावित लोगों के लिए एक उच्च प्राथमिकता के मुद्दे के रूप में सततआजीविका का निर्माण अत्यंत महत्वपूर्ण है। विभिन्न खनन जिलों के डीएमएफ निवेशों के हमारे विश्लेषण से पता चला है कि स्थायी आजीविका निर्माण डीएमएफ निवेशों के लिए सबसे उपेक्षित क्षेत्रों में से एक रहा है। गरीबी और बेरोजगारी सबसे अधिक खनन प्रभावित क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण समस्या होने के बावजूद यह स्थिति है। “वन अधिकार पट्टा धारकों के लिए आजीविका पर जोर छत्तीसगढ़ जैसे राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकांश खनन जिले वन संसाधनों से समृद्ध हैं। इसके अलावा, खनन के कारण अपनी आजीविका खो चुके वन आश्रित समुदाय भी डी.एम.एफ. के लाभार्थी हैं ”. 

संशोधन सार्वजनिक समीक्षा के दायरे को भी मजबूत करते हैं। दो-चरणीय सामाजिक अंकेक्षण प्रक्रिया अनिवार्य कर दी गई है। इसके अलावा यदि खनन विभाग के सचिव इसे आवश्यक मानते हैं तो पंचवर्षीय योजना भी एक तीसरे पक्ष की समीक्षा के अधीन हो सकती है| 

भूषण कहते है की “सरकार ने डीएमएफ संस्था की समावेशी व्यवस्था को बनाए रखने और इसके प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए डीएमएफ नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।. नैसर्गिक खनिज उत्खनन के लाभ को प्राप्त करने हेतु लोगों के अधिकारों को डीएमएफ द्वारा मान्यता दी गई है . खान और खनिज [विकास और विनियमन] अधिनियम में की गई अपेक्षा के अनुरूप खनन प्रभावित लोगोंके सर्वोत्तम हितों की रक्षा करने के लिए इसी तरीके के उपायों हेतु छत्तीसगढ़ के नियमअन्य राज्यों के लिए भी मार्गदर्शक है |”  

सेंटर फॉर सायंस एंड एनव्हारंमेंट का DMF पर कार्य को जानने के लिए www.cseindia.org को भेंट दे |