शहरी स्वच्छता कार्यक्रम का कुशलतापूर्वक प्रबंधन- सीएसई ने उत्तर प्रदेश के चुनार शहर से शुरुआत की है

शहर के लिए मल कचरा और सेप्टिक प्रबंधन पर रणनीति और संचालन के लिए दिशानिर्देश जारी किया गया है

यह दिशानिर्देश शहरी स्वच्छता और नदी प्रदूषण के बीच संबंध स्थापित करते हैं- एक खाका मुहैया कराते हैं जिसका भारत के दूसरे शहर अनुसरण कर सकते हैं

नई दिल्ली, 30 मार्च, 2020: “भारत के हर शहर में प्रभावी मल कचरा और स्वच्छता प्रबंधन के लिए उचित हितधारकों की भागीदारी के साथ तैयार की गई कार्ययोजना होनी चाहिए जो शहर द्वारा संचालित हो। हमारा काम सिर्फ ट्रीटमेंट प्लांट तैयार कर देने से खत्म नहीं हो जाता है।” सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट (सीएसई) के जल और अपशिष्ट प्रबंधन के वरिष्ठ निदेशक सुरेश रोहिल्ला ने आज यहां शहरी स्वच्छता प्रबंधन पर सीएसई के नए प्रकाशन को जारी करते हुए यह बात कही।

चुनार में एफएफएफएम पर रणनीति-सह-संचालन दिशानिर्देश (https://www.cseindia.org/faecal-sludge-and-septage-management-in-chunar-9719) में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के चुनार शहर के लिए तय समय-अवधि के साथ एक व्यापक कार्रवाई एजेंडा पेश किया गया है। चुनार गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है। भूमिगत सीवरेज नेटवर्क की गैरमौजूदगी में, शहर लगभग पूरी तरह सेप्टिक टैंक और गड्ढे वाले शौचालय जैसी मौके पर निपटान की स्वच्छता प्रणालियों पर निर्भर है। इन प्रणालियों में उत्पादित मल कचरे को समय-समय पर लगातार खाली करने और सुरक्षित प्रबंधन की जरूरत होती है।

रोहिल्ला के अनुसार: “सेप्टिक टैंकों और गड्ढे वाले शौचालयों पर निर्भर शहर के 70 फीसद हिस्से द्वारा उत्पादित 100% मल कचरे को जमीन और जल स्रोतों में अनुपचारित डाल दिया जाता है, चुनार ने हमें ऐसे शहरों में मल कचरे और सेप्टेज प्रबंधन (फीकल स्लज एंड सेप्टेज मैनेजमेंट- एफएसएसएम) की समस्या का अध्ययन करने और कार्रवाई के लिए एक योजना बनाने को प्रेरित किया। सीएसई ने एफएसएसएम को तकनीकी सहायता मुहैया कराने के लिए गंगा जल ग्रहण क्षेत्र में चुनार और बिजनौर को शहर-वार बेहतर स्वच्छता के लिए चुना।”

रोहिल्ला कहते हैं: “दोनों शहरों में सीएसई का काम शहरी स्वच्छता और नदी प्रदूषण के खात्मे के बीच संबंध को समझने में मदद करेगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा था कि चुनार में उचित स्वच्छता प्रबंधन की कमी, शहर से गुजरने वाली गंगा के गंभीर प्रदूषण स्तर का मूल कारण है।”

सीएसई के जल और अपशिष्ट प्रबंधन के प्रोग्राम मैनेजर भितुश लूथरा के अनुसार: “चुनार के दिशा-निर्देश यह सुनिश्चित करते हैं कि शहरी स्वच्छता मूल्य श्रृंखला में सुधार हो- इसके द्वारा फैलाव रोकना, खाली करना, निपटान, उपचार और पुन:उपयोग/ पुनर्च्रकण के साथ नदी प्रदूषण को रोकना शामिल है।”

सीएसई ने चुनार में एक तकनीकी सहायता इकाई (टीएसयू) की स्थापना की है, जो एफएसएसएम के उपायों पर अमल करने और कारगर बनाने में मदद करने के लिए शहर की एजेंसियों को नियोजन, संचालन, निर्देशन और ढांचे को सक्षम बनाने के साथ-साथ सुविधा देने और प्रबंधन करने के लिए है।

सीएसई शहर में बनने वाले 10-किलोलीटर लंबे मल-कचरा उपचार संयंत्र (एफएसटीपी) के लिए तकनीकी सहायता में भी भागीदार है। यह पहला एफएसटीपी है जो पूरी तरह नेशनल मिशन फॉर गंगा द्वारा वित्तपोषित है- यह जून 2020 में शुरू होने की उम्मीद है।

लूथरा कहते हैं: “सीएसई शहर के अधिकारियों, नीति-निर्माताओं और शहर के स्वच्छता कार्यक्रम के क्रियान्वयन में शामिल अन्य हितधारकों की क्षमताओं को भी विकसित कर रहा है। इसमें सुचारु प्रबंधन के तरीके सीखने के लिए अधिकारियों के वास्ते व्यावहारिक अनुभव उपलब्ध कराना भी शामिल है।”

रोहिल्ला कहते हैं: “नदी जलग्रहण वाले राज्यों में स्वच्छता अभियान की योजना, तैयारी और क्रियान्वयन में दूसरे शहरी स्थानीय निकायों के लिए चुनार एक आदर्श शिक्षण केंद्र का काम करेगा।”

चुनार पर दिशानिर्देश और सीएसई के काम के बारे में अधिक जानकारी के लिए: https://www.cseindia.org/page/technical-support-for-fssm-in-chunar-uttar-pradesh

इस विषय या साक्षात्कार आदि के वास्ते अधिक जानकारी के लिए: सीएसई मीडिया रिसोर्स सेंटर की सुकन्या नायर से sukanya.nair@cseindia.org, 88168 18864 पर संपर्क कर सकते हैं।