विश्व पर्यावरण दिवस पर सीएसई और गुरुग्राम फर्स्ट ने गुरुग्राम को स्वच्छ, प्रदूषण रहित और सौर ऊर्जा के भविष्य से अवगत कराया

गुरुग्राम में सोलर रेडिएशन के प्रचुर मात्रा में होने के कारण छत पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की संभावनाएं अधिक

सीएसई ने गुरुग्राम फर्स्ट और आरडब्ल्यूए के साथ बैठक कर सोलर रूफटॉप एजेंडा पर काम करने की शुरुआत की 

गुरुग्राम,  5 जून, 2019: सेंटर फॉर साइंए एंड इनवायरमेंट (सीएसई) के शोधकर्ताओं द्वारा एनसीआर में सोलर रूफटॉप (छत पर सौर ऊर्जा प्लांट) और सौर ऊर्जा की संभावनाओं को लेकर तैयार की गई एक आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि गुरुग्राम सौर ऊर्जा का अग्रदूत बन कर सही मायने में आधुनिक एवं स्मार्ट सिटी बनने का विजन रखता है, लेकिन यह विजन तब तक पूरा नहीं हो सकता, जब तक सभी रेजिडेंशियल सेक्टर और घर सौर ऊर्जा को न अपना लें। गुरुग्राम, जहां लगभग हर रेजिडेंशियल सेक्टर में प्रदूषित हवा छोड़ते डीजल से चलने वाले जनरेटर का इस्तेमाल हो रहा है में छत पर सौर ऊर्जा प्लांट (एसआरटी) एक बड़ा गैर प्रदूषित और सस्ता विकल्प साबित हो सकता है।

विश्व पर्यावरण दिवस पर आज सीएसई ने गुरुग्राम के सिविल एक्शन ग्रुप गुड़गांव फर्स्ट के सहयोग से एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें गुरुग्राम में सौर ऊर्जा का भविष्य के बारे में बातचीत की गई। कार्यक्रम में गुरुग्राम के रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के अलावा नगर निगम के अधिकारी एवं सिविल सोसायटी के सदस्य भी शामिल हुए।

केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं योजना मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह ने इस मौके पर कहा कि राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और नागरिकों को मिलकर गुरुग्राम को सोलर मॉडल सिटी बनाने के लिए काम करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वह पूरी ताकत से लोगों को सौर ऊर्जा को अपनाने के लिए तैयार करेंगे, ताकि उन सब लोगों को फायदा हो सके, जिन्होंने उन्हें चुना है।

गुरुग्राम के उपायुक्त अमित खत्री ने इस मौके पर कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर इससे बेहतर क्या हो सकता है। आज हमें इस मौके पर शपथ लेनी चाहिए कि सोलर रूफटॉप के मामले में गुरुग्राम को एक आदर्श बनाएंगे।

गुरुग्राम एक ऐसा शहर है, जहां बड़ी संख्या में रेजिडेंशियल सोसायटीज हैं और बहुमंजिला इमारतें हैं, जिनमें 24 घंटें सातों दिन बिजली देने के लिए डीजल जनरेटर का इस्तेमाल होता है। इसका असर वायु की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। यह जनरेटर शहर को जहरीली धुएं में तब्दील कर रहे हैं। सीएसई का अध्ययन कहता है कि गुरुग्राम में जनरेटर शुरू होते ही पीएम2.5 और पीएम10 का स्तर दो से तीन गुणा बढ़ जाता है। प्रदूषण का यह स्तर शहर के नागरिकों के लिए कई तरह की दिक्कतें पैदा कर रहा है।

सीएसई की रिन्यूएबल एनर्जी की वरिष्ठ रिसर्च एसोसिएट श्वेता मारियम कोशी ने कहा कि लंबी अवधि के लिए डीजल जनरेटर के मुकाबले सोलर रूफटॉप के कई आर्थिक एवं पर्यावरणीय फायदे हैं। डीजल जनरेटर न केवल प्रदूषण का कारण बन रहे हैं, बल्कि इनसे मिलने वाली बिजली भी काफी महंगी पड़ती है।

उन्होंने कहा कि सोलर केवल पावर कट के समय ही डीजल जनरेटर का विकल्प नहीं बनता, बल्कि रोजाना की बिजली आपूर्ति की खपत को भी कम करने में मदद करता है।

भारत ने साल 2022 तक अक्षय ऊर्जा की उत्पादन क्षमता 175 गीगावाट करने की योहना है। इसमें से 40 गीगावाट छत पर लगने वाले सौर ऊर्जा प्लांट (सोलर रूफटॉप) से मिलने की उम्मीद है। लेकिन अब लक्ष्य काफी दूर है। दिसंबर 2018 तक देश में लगभग 1.8 गीगावाट क्षमता के सोलर रूफटॉप प्लांट लगाए गए हैं।

मार्च 2019 तक एचएआरईडीए (HAREDA) का अनुमान है कि मार्च 2019 तक केवल 40 मेगावाट क्षमता के प्लांट ही लग पाए हैं। यह हाल तब है, जब कि गुरुग्राम में 320 दिन धूप रहती है और यहां 5.5 से 6.5 किलोवाट प्रति घंटा प्रति वर्ग मीटर क्षमता की सोलर रेडिएशन की पहुंच रहती है।

गुरुग्राम फर्स्ट की संस्थापक शुभ्रा पुरी ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है। गुरुग्राम में प्रगतिशील विचारों के लोग रहते हैं, बड़ी-बड़ी बिल्डिंग हैं और राज्य सरकार की सोलर पॉलिसी भी अच्छी है, इसलिए गुरुग्राम आसानी से सोलर सिटी का दर्जा हासिल कर सकता है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि सब मिलकर गुरुग्राम में 2022 तक 100 मेगावाट वाली सोलर रूफटॉप सिटी बनाने के लिए काम करें।

अच्छी बात यह है कि गुरुग्राम ने सोलर रूफऑप को लगाने के मामले में कई सफल और प्रेरित उदाहरण पेश किए हैं।  डीएलएफ-5 में विलिंगटन एस्टेट आरडब्ल्यूए ने देश का सबसे बड़ा सोलर रूफटॉप लगाया है, जिसकी क्षमता 350 किलोवाट है। आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष विनीत बग्गा के मुताबिक, इस सोलर प्लांट की वजह से कंप्लेक्स के बिजली के बिल में 33 लाख रुपये की कमी आई है।

कार्यक्रम में शामिल सोलर रूफटॉप पावर का इस्तेमाल और उत्पादन करने वाले प्रतिनिधियों ने बताया कि दो प्रमुख बाधाएं हैं, जिस कारण लोग सोलर रूफटॉप प्लांट का चलन नहीं बढ़ रहा है। इनमें सब्सिडी और नेट मीटर लगाने की प्रक्रिया में देरी की वजह से सोलर रूफटॉप को बढ़ावा नहीं मिल रहा है।

मांडवी सिंह ने कहा कि हमें उम्मीद है कि गुरुग्राम को सोलर रूफटॉप का लक्ष्य और अधिक हो सकता है। कुल लोड का करीब 15 फीसदी यानी 250 मेगावाट बिजली सोलर रूफटॉप से हासिल की जा सकती है, लेकिन यह तब ही संभव है, जब शहर का अपना एक ठोस एक्शन प्लान हो, जिसे स्थानीय प्रशासन द्वारा तैयार किया जाए और इसमें जागरूकता से लेकर कार्य की प्रगति की देखरेख और साथ ही सभी मुद्दों का समय पर निपटारा हो।

इस बारे में या अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) के सीएसई के काम से संबंधित अन्य जानकारी लेने के लिए आप सीएसई मीडिया रिसोर्स सेंटर की सुकन्या नायर से उनके मेल  sukanya.nair@cseindia.org / या फोन 881681886 पर संपर्क कर सकते हैं।

 

 

 

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