मंथन-12: बीमा जलवायु परिवर्तन का नया टिपिंग प्वाइंट



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बीमा जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम की घटनाओं के प्रभावों का सामना करने के लिए एक प्रभावी उपाय हो सकता है। लेकिन क्या प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी बीमा योजनाएं वास्तव में काम कर रही हैं? बढ़ते सबूत बताते हैं कि ये योजनाएं चरम मौसम की बढ़ती तीव्रता के चलते तेजी से महंगी और लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं।

हिंदी में लिखने वाले पत्रकारों के लिए सीएसई की विशेष कार्यशाला “मंथन” का 12वां संस्करण आयोजित हो रहा है। इसमें न सिर्फ विषय को गहराई से समझने का मौका मिलेगा बल्कि रिपोर्टिंग के व्यावहारिक तरीके भी बताए जाएंगे। इस कार्यशाला के लिए सीएसई और डाउन टू अर्थ की अनुभवी पत्रकारों और विषय विशेषज्ञों की टीम उपलब्ध होगी।

मंथन 12 की मुख्य बातें:

  • बीमा महंगा और कठिन पहुंच वाला क्यों होता जा रहा है?
  • चरम मौसम बीमा क्षेत्र को कैसे बदल रहा है
  • जलवायु परिवर्तन से प्रभावित भविष्य में बीमा का स्वरूप कैसा होगा
  • विषय से संबंधित सूचनाओं के स्रोत
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) की कार्यक्षमता और खामियां
  • इस विषय पर किन प्रकार की खबरें और स्टोरी लीड्स विकसित की जा सकती हैं
  • डेटा रैपर की मदद से जलवायु बीमा पर रिपोर्टिंग कैसे करें

यह केवल हिंदी में काम करने वाले पेशेवर पत्रकारों के लिए है।

कृपया ध्यान दें :

  • यह एक निःशुल्क कार्यशाला है– रजिस्ट्रेशन के लिए कोई शुल्क नहीं है। संवाद का मंच जूम होगा स्थान सीमित हैं, इसलिए जल्द रजिस्ट्रेशन कराएं।
  • कार्यशाला पूरी करने वाले सभी प्रतिभागियों को सीएसई की ओर से ई-प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:

सुकन्या नायर
सीएसई मीडिया रिसोर्स सेंटर
sukanya.nair@cseindia.org 
Mobile: 8816818864

 

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